Thursday, August 4, 2011

माँ

घुटनों से रेंगते-रेंगते,
कब पैरों पर खड़ा हुआ.
तेरी ममता की छाँव में,
जाने कब बड़ा हुआ.

काला टीका, दूध-मलाई,
आज भी सब कुछ वैसा है.
मैं ही मैं हूँ हर जगह,
प्यार ये तेरा कैसा है?

सीधा-साधा, भोला-भाला,
मैं ही सबसे अच्छा हूँ.
कितना भी हो जाऊं बड़ा,
'माँ'! मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ.